ऐस का जाल

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उसे छोड़कर

मुट्ठियाँ भींचे हुए, मैं वहाँ खड़ा था, आँखों में आँसू भरे हुए, उसे स्थिर होते हुए देख रहा था। उसके चेहरे से धीरे-धीरे रंग गायब हो रहा था, और उसकी ग्रे आँखें चौड़ी हो गई थीं।

"तुमने क्या कहा?" उसकी गहरी आवाज़ ने पूछा।

"मैंने वही कहा जो तुमने सुना। अगर तुम मुझ पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं करते, तो मुझे ...

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